Madhu varma

Add To collaction

लेखनी कविता -न जाने अश्क से आँखों में क्यों है आये हुए - फ़िराक़ गोरखपुरी

न जाने अश्क से आँखों में क्यों है आये हुए / फ़िराक़ गोरखपुरी

न जाने अश्क से आँखों में क्यों है आये हुए
गुज़र गया ज़माना तुझे भुलाये हुए

जो मन्ज़िलें हैं तो बस रहरवान-ए-इश्क़ की हैं
वो साँस उखड़ी हुई पाँव डगमगाये हुए

न रहज़नों से रुके रास्ते मोहब्बत के
वो काफ़िले नज़र आये लुटे लुटाये हुए

अब इस के बाद मुझे कुछ ख़बर नहीं उन की
ग़म आशना हुए अपने हुए पराये हुए

ये इज़्तिराब सा क्या है कि मुद्दतें गुज़री
तुझे भुलाये हुए तेरी याद आये हुए

   0
0 Comments